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विकास शून्य, लेकिन स्वागत भव्य – आखिर क्यों?

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मोहम्मद आलम

किसी भी संसदीय क्षेत्र की पहचान वहां हो रहे विकास कार्यों से होती है। सड़कें, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी सुविधाएं ही जनप्रतिनिधि की नीयत और कामकाज का आईना होती हैं। लेकिन विडंबना देखिए कि कुछ संसदीय क्षेत्रों में विकास तो शून्य है, पर जब सांसद पहुंचते हैं तो उनका स्वागत ऐसे किया जाता है मानो उन्होंने इलाके को स्वर्ग बना दिया हो।ढोल-नगाड़ों और फूल-मालाओं के बीच जब सांसद का अभिनंदन होता है, तो असल सवाल कहीं पीछे छूट जाते हैं – सड़कें क्यों जर्जर हैं? अस्पतालों में दवाएं क्यों नहीं मिलतीं? नौजवान रोजगार के लिए पलायन क्यों करते हैं? जनता का प्रतिनिधि संसद में आवाज क्यों नहीं उठाता?असल संकट यही है कि स्वागत और जयकारे की आड़ में जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारियों से बच निकलते हैं। जब जनता सवाल पूछने के बजाय ताली बजाकर स्वागत करेगी, तो सांसद इसका राजनीतिक फायदा उठाएंगे और क्षेत्र का विकास कभी नहीं होगा।
लोकतंत्र में यह प्रवृत्ति बेहद खतरनाक है। नेताओं को खुश करने की जगह जनता को अपने हक और विकास की मांग करनी चाहिए। अन्यथा ढोल-नगाड़े तो बजेंगे, लेकिन इलाके की हालत जस की तस बनी रहेगी।

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